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इंजिनीयरिंग अब कम फीस में भी!

Top Govt Engineering Colleges In UP:  देश के ज्यादातर स्टूडेंट सामान्य परिवारों से आते हैं. ये स्टूडेंट्स गुणवत्तपूर्ण पढ़ाई के लिए बहुत ज्यादा खर्च नहीं कर सकते और जब बात इंजीनियरिंग कोर्सेस में एडमिशन लेने की आती है तो उन्हें कम फीस वाले गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज की तलाश रहती है. उनकी पूरी कोशिश रहती हैं कि अच्छे और सस्ते कॉलेज में दाखिला मिल जाए, लेकिन कभी जानकारी न होने के चलते तो कभी रैंक की वजह से एडमिशन में दिक्कतें आती हैं. । आज हम आपके लिए उत्तर प्रदेश के कुछ सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम बता रहे हैं, जिनकी फीस 55-65 हजार और 1 लाख रुपये तक है. यूपी के छोटे-छोटे शहरों में स्थित ये सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज पढ़ाई के लिए भी अच्छे हैं। यहां मिलेगी कम फीस में बेहतर पढ़ाई सरकारी कॉलेज होने के कारण इनका प्लेसमेंट निजी से हमेशा अच्छा रहा है. इसके अलावा फीस बहुत कम है, लेकिन यहां अच्छे प्रोफेसर हैं. यहां एडमिशन जेईई के जरिए ही होना है.। कम फीस में ये कॉलेज आपके लिए बेहतरीन ऑप्शन हो सकते हैं. राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, बिजनोर राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, कन्नौज राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज,

कोई देश कैसे गरीब हो जाता है ?

कोई भी देश तब गरीब होता चला जाता है। जब वहां की सारी अर्थव्यवस्था चरमरा जाए। किसी भी देश को आगे ले जाने में और पीछे धकेलने में देश का युवा ही कारगर है। यदि युवा समय से देश के प्रति खड़े नहीं होंगे और नशेबाजी में पड़ जाएं तो देश की नींव एक समय बाद खोखली होने लगेगी। किसी भी एक कारण को दोष देना गलत होगा । इसके पीछे कई मजबूत कारण होते  है। सबसे पहले आयात निर्यात का समांतर न होना जितना आयात किया जा रहा है उसके मुकाबले निर्यात भी किया जाना चाहिए क्योंकि इससे ही देश दूसरे देशों की करेंसी में समान मंगाता है। राष्ट्रीय बचत का होना भी जरूरी है। इसके अलावा आबादी पर लगाम न लगना। केवल नौकरी पर निर्भरता ।  अशिक्षा। आदि कई कारण भी है। धन्यवाद कौशल जसवानी

धन की अहमियत

नमस्कार दोस्तो आज के इस 21 वीं सदी में जब हम चांद तक पहुंच गए है या कहो लाल ग्रह तक। कुछ समय पूर्व तक लोगो मे इस बात का गुरुर था कि वो धनवान हैं और खुद की पहचान वो धन से बनाते हैं। कहीं हद तक यह सही भी साबित हो रहा था। क्योंकि कुछ समय पूर्व तक धन अपने आप मे एक शक्ति समान था। जैसे पूर्व के युग जादू की छड़ी या चमत्कारी ताबीज,या उड़न दरी आदि। ये सब  देखने सुनने में अच्छा लगता था लेकिन आज की वास्तविकता धन उसी का एक स्वरूप थी या है। और शायद आगे फिर होगी। महामारी के दौर ने जबसे पांव पसारा है। तब से धन की कीमत को व्यक्ति के दायरे ने बदल के रख दिया । यानी आपका जितना अच्छा दायरा या जितनी पहचान सब धरि की धरी रह गयी " धन भी न आया काम । जब बिगडे सारे काम।। इस कहावत से अंदाजा लगाया जा सकता है। कि स्तिथि क्या रही होगी। लोगो को ऑक्सिजन नही मिली कितना ही धन पानी की तरह लोगो ने बहाया लेकिन मानव मानव को न बचा पाया। सच्चाई ये है कि गुरुर किसी पदार्थ का नही रुकता । 

रात की दुनिया

दुनिया देखी होगी दिन में तूने मगर होती है ,दुनिया रात की भी जो जागे कभी तू रात में निकलना सेर सपाटे पर यूँही चीर देंगी तुझे दिल तक कर देगा वो मंजर रात का परेशांन जो न देखा तूने कभी ख्वाब में जब पायेगा सड़को पर  लेटा हुआ इंसान ।

बिगड़ता युवा

आज दुनिया भले ही विज्ञान के मायनो से बहुत आगे निकलती जा रही है, और यदि ऐसा ही रहा तो आने वाला समय विज्ञान पर पूर्णतः निर्भर हो जाएगा। यहाँ तक तो ठीक है  लेकिन क्या अपने कभी युवा के बारे में विचार रखें है या उनके लिए एक बेहतर कल पर चर्चा की है?  शायद नहीं क्योंकि आज का युवा बदल रहा है। आज के युवा हर दिन कुछ नई मांग करता है। इस कुछ नए की मांग ने युवा को नशे की सीढ़ी पर लाकर खड़ा कर दिया है। विज्ञान आगे बढ़ तो रहा है लेकिन युवा को पीछे धकेल रहा है। जबकि यही युवा कल को बेहतर कर सकता है यदि युवा ही नही रहेगा तो कल बेहतर कैसे बनेगा ???  यह प्रश्न विचारणीय है

शिक्षा के प्रतिभागी

शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति की अमूल्य धरोहर है। जो बालक को अपने माता पिता से वरदान में मिलती है। आज के इस युग मे  शायद ही कोई ऐसा माता पिता होगा जो अपने बच्चे को शिक्षा में प्रतिभागी न होने देता हो। बच्चों का जीवन कोमल पुष्प के समान होता है वे चाहें तो समाज की दिशा बदल सकते हैं वे प्रेरित कर सकते है। जिस तरह पुष्प वातावरण में सुगंध फैला कर मन को आनन्दित कर देता है शिक्षा उसी की समानार्थी है। शिक्षा समाज मे सुगंध फैलाने का काम कर सकती है यदि उसका माली एक अच्छा रखवाला हो। शिक्षा के प्रतिभागी वह हर बच्चा है हो जो पाना चाहता है। इसे पाने का अधिकार सबको है । आप इससे किसी को वंचित नही कर सकते ।